जीवन का आखिरी दिन

जिंदगी का आखिरी दिन


आखरी श्वास जब छोड़ मुझको जाएगा
निस्तेज सा निस्तब्ध सा वो मुझे यूं पाएगा
दूर शून्य पे लगी होगी मेरी टकटकी
पर आंखों में उसे बस खालीपन ही नज़र आएगा।

सुन सकूंगा शोर मैं जो बिखरा चारों तरफ
शोर क्यूंकि ह्रदय का खामोश तब हो जाएगा
महसूस कर सकूंगा शायद रिश्तों की तपिश
खून की गरमी से मुझको तब सुकूं मिल पाएगा।

फिर बदन को होगा नसीब नया एक पैरहन
नोंच के बदन से मेरे वो लिबास को ले जाएगा
और सजेगी डोली भी, मुझको भी सजाया जाएगा
कर के सब श्रृंगार तब घर से ले जाया जाएगा।

हर तरफ होंगे वो चर्चे, झूठ को सच बनाया जाएगा
कितना नेक दिल था ये बन्दा, कह के बहलाया जाएगा
और वहीं कोने में होंगे कुछ मेरे भी खैरख्वाह
जल्दी चलो श्मशान को, वरना खड़ा हो जाएगा।

अच्छा हुआ जो चल बसा, था बड़ा मरदूद ये
करता था बातें तल्ख सी, कमबख्त था यमदूत ये
फिर न आ जाए कहीं जल्दी से इसको फूंक दो
देखना कहीं ऐसा न हो, जो कहीं कोई चूक हो
वरना चिता की आग से भी लौट के आ जायेगा
बन के ये भूत तुमको जिंदगी भर के लिए सताएगा।

आभार - नवीन पहल - १९.१२.२०२३ 🙏👍🌹❤️😀

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता 


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5 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति खूबसूरत

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Milind salve

20-Dec-2023 10:45 AM

V good

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Varsha_Upadhyay

20-Dec-2023 10:39 AM

शानदार

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